Bade Ghar Ki Beti Premchand Pdf | बड़े घर की बेटी कहानी(मुंशी प्रेमचंद)

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इस कहानी की रचना मुंशी प्रेमचंद के द्वारा की गई है। इस कहानी के अंतर्गत पारिवारिक रिश्तो को महत्व दिया गया है ,जिसके अंतर्गत सयुक्त परिवार में बड़ो का सम्मान करना तथा अपने से छोटे को प्यार करने की आपसी समझ को दर्शाया गया है। इस पोस्ट में बड़े घर की बेटी आनंदी को पात्र के रूप में दर्शाया गया है।

इस पोस्ट में हम आपको मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित बड़े घर की बेटी कहानी को Pdf फॉर्मेट में उपलब्ध करवाने जा रहे है, साथ ही इस उपन्यास के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी प्रदान करने वाले है। यदि आप प्रेमचन्द द्वारा लिखी गयी इस कथा का सार पढ़ना चाहते है तो इस पोस्ट को शुरू से लेकर अंत तक ध्यानपूर्वक जरूर पढ़े।

Bade Ghar Ki Beti Premchand Pdf

PDF TitleBade Ghar Ki Beti Premchand Pdf
Language Hindi
Category Book
Total Pages 5
PDF Size 639 KB
Download LinkAvailable
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Bade Ghar ki Beti by Premchand in Hindi | Summary

इस कहानी के अंतर्गत बड़े घर की बेटी के महत्व को दर्शाया गया है। इस कहानी की रचना मुंशी प्रेमचंद द्वारा गई है। यह कहानी मुख्य रूप से चार पात्र पर आधारित है।

बेनी माधवसिंह गौरीपुर घाव के एक जमींदार और नम्बरदार थे। उनके दो पुत्र श्रीकंठ और लालबिहारी है। दोनों पुत्रो की विचारधारा भिन्न थी। श्रीकंठ बी.ए. की डिग्री कर रहा है, वही दूसरी ओर लालबिहारी घर के काम काज संभालता है और भैसो के कच्चे दूध को पीकर हस्त पुष्ट था।

श्रीकंठ अंग्रेजी डिग्री प्राप्त करने के बाद भी वह अंग्रेजी संस्कृति को महत्व नहीं देता था। वह अपने गांव में रामलीला नाटक में खुद पात्र बनता था। साथ ही यदि किसी भी परिवार में झगड़ा हो जाता था तो वे उन्हें बड़ी ही आसानी से सुलझा देता था। इसी कारण श्रीकंठ की गांव वाले बहुत इज्जत किया करते थे।

इसी कहानी में पात्र के रूप आनंदी एक लड़की है, जो बहुत ही रूपवती और गुणवती है। आनंदी अपनी 7 बहनो में से चौथे नम्बर पर आती थी। भूपसिंह अपनी आनंदी के लिए एक अच्छे लड़के की तलाश में थे।

एक दिन श्रीकंठ भूपसिंह के घर पर कुछ काम से जाता है। भूपसिंह श्रीकंठ की बातो से तथा उसके स्वभाव से प्रभावित होकर आनंदी की शादी श्रीकंठ के साथ करवा देते है। आनंदी एक सम्पन्न परिवार में पली बढ़ी थी। एक बार वह अपने ससुराल में खाना बनाती है तो मांस में सब घी दाल देती है।

जब लालबिहारी खाना कहने के लिए आता है तो वह घी के बारे में पूछता है, तब आनंदी कहती है कि घी तो पाव भर था जिसे मैंने मांस में डाल दिया। इतने में लालबिहारी को दाल में घी डालना था, लेकिन घी नहीं होने के कारण आनंदी के मायके वाले को उल्टा सीधा कहने लगता है।

स्त्रियाँ सबकुछ सहन कर सकती है लेकिन अपने मायके के बारे में कदा भी कुछ गलत नहीं सुन सकती है। आनंदी बहुत क्रोधित हो गयी और कहती है कि इतना सा घी तो मेरे मायके में नाइ और कम्हार खा जाते है।

लालबिहारी अपनी भावज की बातो से क्रोधित हो जाता है और कड़ाहु को आनंदी पर फेंक देता है। ऐसे आनंदी का सर फूटते -फूटते बच जाता है और उसके हाथ में चोट आ जाती है।

श्रीकंठ हर शनिवार घर आता था। लेकिन जब यह घटना हुई उस दिन गुरूवार था। आनंदी अपने पति का दो दिन तक इन्तजार करती है। हर शनिवार की तरह श्रीकंठ अपने घर पर लोटता है। उसकी पत्नी आनंदी गुरूवार के दिन हुई सम्पूर्ण घटना को श्रीकंठ को बताती है।

श्रीकंठ यह सुनकर बहुत क्रोधित हो जाता है। वह अपने पिता जी को इसके बारे में बताता है, लेकिन पिताजी भी उस समय उसके छोटे भाई लालबिहारी की साइड लेते हुए कहते है कि बहु ने पुरे घर में विद्रोह कर रखा है।

श्रीकंठ को और अधिक गुस्सा आ जाता है और कहता है कि या तो इस घर में लालबिहारी रहेगा या मै। आप मेरे को इस घर में रखना चाहते है तो लालबिहारी को भर निकल दो, वः कही पर भी जाए, कुछ भी करे लेकिन वो मेरे आँखों के सामने नहीं आना चाहिए।

लालबिहारी चुपके से अपने बड़े भाई की बात को सुन रहा था। वह अंदर ही अंदर दुखी हो रहा था। क्योकि एक समय था जब उसे अपने बड़े भाई के घर आने से उसकी छाती चौड़ी हो जाती थी और बड़ा भाई भी उससे बहुत ज्यादा स्नेह करता था। श्रीकंठ उसके लिए हर शनिवार कुछ न कुछ जरूर लेकर आता था।

लेकिन आज जब उसने अपने बड़े भाई की यह बात सुनी तो उसने स्वयं ही उस घर से जाने का फैसला कर लिया। वह अपने कपड़ो को एक बेग में समेटकर अपने बड़े भाई के आशीर्वाद के लिए अपनी भाभी से रोते हुए कहता है कि भैया को मेरा प्रणाम कहना क्योंकि वे मेरा मुँह तो देखना नहीं चाहते।

लालबिहारी की आँखों में आंसू देखकर आनंदी का दिल पिगल गया और श्रीकंठ से अपने भाई को मनाने के लिए कहती है। श्रीकंठ थोड़ी देर के लिए खङा नहीं होता है, लेकिन अन्ततया वह अपने छोटे भाई को गले लगा लेता है। दोनों भाई रोने लग जाते है।

दोनों भाई को गले लगते देख माधवसिंह का सीना चौड़ा हो जाता है। यह नजर पूरा गाँव देख रहा होता है। माधवसिंह अपनी बहु के लिए कहते है कि बड़े घर की बेटियों ऐसी ही होती है, जो बिगड़े हुए रिश्तो को संभाल लेती है।

FAQs : Bade Ghar Ki Beti Premchand Pdf

Bade Ghar Ki Beti Premchand Pdf कैसे Download करें?

यदि आप प्रेमचंद की कथा बड़े घर की बेटी कहानी Pdf फॉर्मेट में डाउनलोड करना चाहते है तो पोस्ट में दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक कर सकते है।

बड़े घर की बेटी कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?

बड़े घर की बेटी खानी में प्रेमचंद ने परिवार में होने वाले आपसी झगड़ो के बारे में जानकारी दी है। इस कहानी से हमे सिख लेनी चाहिए कि हमे कभी भी परिवार में होने वाले छोटे-मोठे झगड़ो को गंभीरता पूर्वक नहीं लेना चाहिए।

बड़े घर की बेटी कहानी के लेखक कौन हैं 

बड़े घर की बेटी कहानी मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित है।

Conclusion :-

इस पोस्ट में Bade Ghar Ki Beti Premchand Pdf मुफ्त में उपलब्ध करवाई गयी है। साथ ही इस कहानी के बारे में संक्षेप्त में जानकारी दी गयी है। उम्मीद करते है कि Bade Ghar ki Beti Munshi Premchand Download करने में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं हुई होगी।

आशा करते है कि यह पोस्ट आपको जरूर पसंद आयी होगी। यदि आपको Premchand Bade Ghar ki Beti Download करने में किसी भी प्रकार की समस्या आ रही हो तो कमेंट करके जरूर बताये। साथ Bade Ghar Ki Beti Premchand कहानी को अपने दोस्तों तथा परिवार के सदस्यों के साथ अवश्य ही साझा करें।

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