नमस्कार दोस्तों, कबीर दास जी के बारे में तो आप सभी जरूर जानते होंगे और आपने इनके दोहे भी पढ़े होंगे। इस पोस्ट में हम आपको Kabir Ke Dohe in Hindi PDF उपलब्ध करवाने वाले है जिसे आप इस पोस्ट से बिलकुल फ्री में डाउनलोड कर सकते है।
कबीर दास जी भारत के महान कवियों में से एक है। इनका जन्म सन 1398 में काशी (वाराणसी) में एक जुलाहे परिवार में हुआ था। कबीर दास जी ने अपने दोहों के माध्यम से जीवन की सच्चाई को व्यक्त किया है और इसी कारण आज भी इनके दोहों को बहुत पसंद किया जाता है।
अगर आप भी इस पोस्ट में कबीर दास जी के दोहों की पीडीएफ सर्च करते हुए आये है तो आप बिलकुल सही पोस्ट पर आ चुके है क्योकि इस पोस्ट में हम आपको कबीर दास के दोहों की पीडीऍफ़ फाइल बिलकुल फ्री में उपलब्ध करवाने वाले है।
Kabir Das जी के दोहें
कबीर दास जी ने बहुत से दोहों की रचना की थी जिसमे से कुछ दोहों के उदाहरण नीचे दिए गए है साथ ही अगर आपको अधिक दोहे की जरुरत है तो आप इस पोस्ट में उपलब्ध Kabir Ke Dohe in Hindi Pdf को डाउनलोड कर सकते है।
तूँ तूँ करता तूँ भया, मुझ मैं रही न हूँ।
वारी फेरी बलि गई, जित देखौं तित तूँ ॥
हिंदी अनुवाद – जीवात्मा कह रही है की “तू है” “तू है” कहते कहते मेरा अहंकार समाप्त हो गया। इस तरह भगवान पर न्यौछावर होते होते में पूरी तरह से समर्पित हो गया हूँ। अब तो जिधर देखता हु उधर तू ही दिखाई देता है।
मेरा मुझ में कुछ नहीं, जो कुछ है सो तेरा।
तेरा तुझकौं सौंपता, क्या लागै है मेरा॥
हिंदी अनुवाद – कबीर दास जी इस दोहे के माध्यम से कहते है की मेरा अपना यहाँ कुछ भी नहीं है, मेरा यश, कीर्ति, धन-संपत्ति और मेरी शारीरिक और मानसिक शक्ति सब तुम्हारी ही है। जब मेरा कुछ भी नहीं तो उसके प्रति ममता कैसी? तेरी दी हुई वस्तुओं को तुझे समर्पित करने से मेरी क्या हानि है। इसमें मेरा अपना लगता ही क्या है।
पोथी पढ़ि-पढ़ि जग मुवा, पंडित भया न कोइ।
एकै आखर प्रेम का, पढ़ै सो पंडित होइ॥
हिंदी अनुवाद – कबीर दास जी कहते है की सारे सांसारिक लोग पोथी-पुस्तके पढ़ते पढ़ते मर गए लेकिन कोई भी पंडित नहीं हो सका। लेकिन जो अपने प्रिय परमात्मा का एक ही अक्षर जपता है वही सच्चा ज्ञानी होता है।
कबीर माया पापणीं, हरि सूँ करे हराम।
मुखि कड़ियाली कुमति की, कहण न देई राम॥
हिंदी अनुवाद – कबीर दास जी कहते है की यह माया बड़ी पापिन है जो मनुष्य को परमात्मा से विमुख कर देती है और उसके मुख पर दुर्बुद्धि की कुंडी लगा देती है और राम नाम का जप नहीं करने देती है।
बेटा जाए क्या हुआ, कहा बजावै थाल।
आवन जावन ह्वै रहा, ज्यौं कीड़ी का नाल॥
हिंदी अनुवाद – कबीर दास जी कहते है की है प्राणी तुम बैठा होने पर थाली बजाकर इतनी प्रसन्नता क्यों व्यक्त करते हो? जीव तो चौरासी लाख योनियों में वैसे ही आता जाता रहता है जैसे जल से युक्त नाली में कीड़े आते जाते रहते है।
इस प्रकार यह कुछ कबीर दास जी के दोहों का संकलन है और अगर आप इसी तरह के और भी दोहों को पढ़ना चाहते है तो नीचे बताये तरीके से कबीर दास के दोहे पीडीएफ को डाउनलोड कर सकते है।
Kabir Ke Dohe in Hindi PDF Details
Pdf Title | Kabir Ke Dohe in Hindi PDF |
Author | Kabir Das |
Pdf Category | Dohe Pdf |
Total Page | 36 |
Pdf Size | 0.28 MB |
Pdf Source | pdfshiksha.com |
Note - Kabir Ke Dohe in Hindi PDF Free Download करने के लिए ऊपर दिए गए Download बटन पर क्लिक करे।
Conclusion –
तो दोस्तों उम्मीद करते है इस पोस्ट में बताये तरीके से आपको Kabir Ke Dohe in Hindi PDF को Download करने में कोई भी समस्या नहीं आयी होगी और यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी रही होगी।
अगर आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आयी है तो इसे अपने सोशल मीडिया दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे साथ ही अगर आपको हमारी इस पोस्ट से पीडीएफ डाउनलोड करने में कोई भी समस्या होती है तो आप हमे कमेंट करके बता सकते है।
More PDF:-
- The Secret Book Pdf in Hindi Free Download
- Bharat Ki Nadiya Map in Hindi Pdf
- Think and Grow Rich In Hindi PDF
- Moral Stories for Childrens in Hindi Pdf
- Class 9th Science Lesson Plan in Hindi Pdf
Searching Keywords:-
kabir ke dohe in hindi pdf, kabir ke dohe with meaning in hindi pdf, kabir ke dohe in hindi with meaning pdf, kabir das ji ke dohe in hindi pdf, kabir das ke dohe in hindi with meaning pdf, sant kabir ke dohe with meaning in hindi pdf, kabir ke dohe in hindi with meaning in hindi pdf, kabir ke dohe with meaning in hindi language pdf download, kabir das ke dohe in hindi pdf, कबीर के दोहे PDF, 1000 कबीर के दोहे PDF Download, कबीर के दोहे अर्थ सहित PDF,