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जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए हमे एक अच्छे मार्गदर्शन की जरूरत होती है। अक्सर हम अपने जीवन में ऐतिहासिक कहानियों को सुनकर उससे प्रेरणा लेते है। संक्षिप्त कहानियों को पढ़ने के बाद हमे उनसे यह प्रेरणा मिलती है कि हमे अपने जीवन में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।
इस पोस्ट में हम आपको Best Motivational Story in Hindi Pdf मुफ्त में उपलब्ध करवाने जा रहे है, जिससे आप प्रेरित होकर अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते है और मानव जीवन का मूल अर्थ जान सकते है। यदि आप अपने जीवन में प्रेरित होना चाहते है तो इस पोस्ट को शुरू से लेकर अंत तक ध्यानपूर्वक जरूर पढ़े।
Motivational Story in Hindi Pdf Details
PDF Title | Motivational Story in Hindi Pdf |
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Language | Hindi |
Category | Book |
PDF Size | 217 KB |
Total Pages | 131 |
Download Link | Available |
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Real Life Inspirational Stories in Hindi Pdf
इस पुस्तक में कुल 222 प्रेरणादायक कहानियों को सम्मिलित किया गया है, जिसे पढ़कर आप अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते है और अपने आप को एक दिशा दे सकते है। पुस्तक में सम्मिलित 222 कहानियों में से कुछ कहानियाँ निम्न है –
1. अहंकार से पतन
श्वेतकेतु ऋषि आरुणि का पुत्र था। आरुणि ने उसे घर में ही प्रारम्भिक शिक्षा और संस्कार दिए। कुछ बड़ा होने पर उन्होंने श्वेतकेतु से कहा ; कुल की परम्परा के अनुरूप गुरुकुल में रहकर साधना और धर्मशास्त्रों का अध्ययन करना। गुरुकुल में ही तुम्हारा उपनयन संस्कार होगा।
गुरु की सेवा और सानिध्य से ही तुम विभिन्न उपनिषदों और वदो में पारंगत हों सकोगे। श्वेतकेतु पिता का आशीर्वाद प्राप्त कर गुरुकुल में जाकर गुरु की सेवा में जाकर लग गया। चौबीस वर्ष की आयु पूरी कर वह घर लौटा। उसे यह झूठा अभिमान हो गया कि वेदो में उससे बड़ा कोई व्याख्याता है ही नहीं और वह शास्त्रों में भी सभी को पराजित कर सकता है।
वह अपने आप को पिता से भी बड़ा विद्वान मानने लगा। ऋषि आरुणि ने अपने पुत्र को पूरी तरह से भांप लिया। वे जान चुके थे कि उसका अमर्यादित स्वभाव और अहंकार ही उसके पतन का कारण बनेगा। एक दिन पिता ने श्वेतकेतु को एकांत में पाकर आरुणि ने उसे धर्मशास्त्रों से सम्ब्नधित प्रश्न उत्तर किये, जिनके श्वेतकेतु ठीक से उत्तर नहीं दे पाया।
आरुणि ने कहा – पुत्र से कहा तुम्हारे गुरु महान पंडित और साधक है। लगता है अहंकारग्रस्त होनेके कारण तुम उनसे कुछ प्राप्त नहीं कर पाए। गुरु से कुछ पाने के लिए विनयशील होना आवश्यक है अनजान और मासूम बनकर ही गुरु से कुछ सीखा जा सकता है।
श्वेतकेतु अहंकार चूर-चूर हो गया। पिता आरुणि ने उसे शास्त्रों का दृष्टांत देकर अमरत्व का सार बताया।
2. सच्चे दरियादिल इंसान
अरब और रोमन राज्यों के बिच महासंग्राम हो रहा था। दोनों पक्ष के असंख्य योद्धा मारे गए। शाम होते ही नियमानुसार लड़ाई बंद हुई, तो इस्माइल को अपने छोटे भाई की चिंता हुई। उसने सोचा कि यदि भाई घायल पड़ा हुआ मिलेगा तो उसे चिकित्सालय ले जाऊंगा।
वह एक हाथ में लालटेन और दूसरे हाथ में पानी का लोटा लेकर युद्धस्थल पर पंहुचा। कुछ देर ढूंढने के बाद उसका भाई खून से लथपथ पड़ा हुआ मिला था। वह प्यासा था और पानी मांग रहा था। घायल भाई को जैसे ही वह पानी पिलाने लगा कि किसी दूसरे घायल की पानी-पानी चिलाने की आवाज आयी।
यह सुनकर घायल भाई ने कहा कि भाईजान मुझे नहीं पहले उसे पानी पिलाओ। इस्माइल वहा पंहुचा तो अरब सरदार ने कहा उधर एक सैनिक घायल हो गया है, उसे पानी पिलाना जरुरी है नहीं तो वह मर जाएगा।
अब इस्माइल तीसरे घायल के पास पहुंचा, तब तक वह भी मर चूका था। अब वह अपने चचरे भाई के पास पंहुचा, तब तक उसकी भी आंखे बंद हो गयी थी। इस्माइल दोनों की दयालुता देखकर हस्तप्रभ रह गया।
अर्ब वासियो ने जब यह किस्सा अपने साथियो को सुनाया तो उनकी आँखे उन सच्चे इंसानो के लिए गीली हो उठी।
3. महर्षि का श्राप
प्रजापति दक्ष अपने दामाद शिवजी से ईर्ष्या रखते थे। एक बार उन्होंने शिवजी को निचा दिखाने के लिए कलुषित उद्देशय से कनखल में यज्ञ का आयोजन करवाया। उन्होंने यज्ञ में देवऋषियो, महर्षियो, देवताओ को आमंत्रित किया, किन्तु अपनी पुत्री और शिवजी की उपेक्षा की। सर्व यज्ञ में पारंगत महर्षि दधीचि को भी सदर आमंत्रित किया गया।
महर्षि दधीचि ने शिवजी को अनपस्थित देखकर दक्ष को समझाते हुए कहा ; देवादिदेव भगवान शंकर की कृपा के बिना कोई भी याग सफल नहीं होता। राम-द्वेष की कुत्सित भावना से किया गया कोई भी सतकर्म विनाश का कारण बनता है। इसलिए अब भी समय है, हठ त्यागकर भगवान महदेव को सदर आमंत्रित करें।
यह सुनते ही प्रजापति दक्ष शिवजी के प्रति कटु वचनो का प्रयोग करने लगे। वे उन्हें भूतो और पिशाचो का स्वामी कहने लगे। दक्ष के भय से मंडप में उपस्थिति जनो में से किसी ने भी इसका प्रतिवाद नहीं किया, लेकिन महर्षि दधीच उठे और निर्भीकता से बोले ; शिवजी के लिए अपशब्द सुनना मेरे लिए अहसहनीय है।
मै भविष्यवाणी करता हु कि यह यज्ञ तुम्हारे लिए कल्याण का नहीं, विनाश का कारण बनेगा। भगवान रूद्र के क्रोधाग्नि से सबकुछ ध्वस्त हो जायेगा। यह कहते ते महर्षि यज्ञ मंडप से उठकर अपने आश्रम को लौट गए। इस यज्ञ में भगवती सती ने आत्मदाह किया और यह यज्ञ दक्ष के सकल विनाश का कारण बना।
FAQs : Motivational Story in Hindi Pdf
Motivational Story in Hindi Pdf Free Download कैसे करें?
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मोटिवेशन का क्या मतलब होता है?
मोटिवेशन का तात्पर्य प्रेरणा से है। मोटिवेशन दो रूपों में विध्यमान होता है, पहला मोटिवेशन व्यक्ति के आंतरिक मन में होता है, जिसे माध्यम से व्यक्ति स्वयं से प्रेरित होता है। दूसरा मोटिवेशन बाह्य रूप से प्राप्त होता है, जैसे वीर पुरुषो की गाथाये सुनकर, प्रेरणदायक कहानिया पढ़कर आदि।
सबसे अच्छी हिंदी मोटिवेशन लाइन कौन सी है?
मेर ख्याल से सबसे मोटिवेशन लाइन “मेहनत इतनी खामोशी से करो कि सफलता शोर मचा दे!” है। जिससे मोटीवेट हकार आप अपने सपनो को हकीकत में बदल सकते है।
Conclusion :-
इस पोस्ट में Motivational Story in Hindi Pdf मुफ्त में उपलब्ध करवाई गयी है, जिनका अध्ययन कर आप खुद को प्रेरित कर सकते है। उम्मीद करते है कि Motivational Books In Hindi Pdf Free Download करने में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं हुई होगी।
आशा करते है कि यह पोस्ट आपको जरूर पसंद आयी होगी। यदि आपको Short Motivational Story in Hindi for Success Download करने में किसी भी प्रकार की समस्या आ रही हो तो कमेंट करके जरूर बताये। साथ ही Motivational Story Pdf in Hindi को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें, ताकि वे भी इन कहानियों का अध्ययन कर खुद को प्रेरित कर सकें।
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