ॐ जय जगदीश हरे आरती | Om Jai Jagdish Hare Aarti PDF

दोस्तों क्या आपको ॐ जय जगदीश हरे आरती लिरिक्स याद है? अगर नहीं तो इस पोस्ट में हम आपको Om Jai Jagdish Hare Aarti PDF का डायरेक्ट लिंक उपलब्ध करवाने वाले है जिसकी मदद से आप आरती लिरिक्स पीडीऍफ़ को डाउनलोड कर सकते है।

ॐ जय जगदीश हरे भगवान विष्णु को समर्पित एक लोकप्रिय आरती है जिसे इस ब्रम्हांड के संचालक भगवान विष्णु की स्तुति में गाया जाता है। यह आरती हमारे हिन्दू धर्म में दैनिक पूजा का एक हिस्सा है साथ ही इस आरती को महत्वपूर्ण धार्मिक समारोह और त्योहारों के दौरान भी की जाती है।

अगर आप भी जाऊ जगदीश हरे आरती को अपनी दैनिक पूजा ने शामिल करना चाहते है तो इस पोस्ट में हम जगदीश हरे आरती हिंदी लिरिक्स पीडीऍफ़ और इसे डाउनलोड करने के तरीके पर चर्चा करने वाले है इसलिए इस पोस्ट को अच्छे से ध्यानपूर्वक शुरू से अंत तक पूरा जरूर पढ़े।

Om Jai Jagdish Hare Aarti PDF Details

Pdf Title Om Jay Jagdish Hare Aarti
Category Religion
Language Hindi
Pdf Size 35 KB
Total Pages 2
Pdf Source pdfshiksha.com
Note - ॐ जय जगदीश हरे लिरिक्स इन हिंदी पीडीऍफ़ को निःशुल्क डाउनलोड करने के लिए ऊपर दिए गए Download बटन पर क्लिक करे। 

Om Jay Jagdish Hare Aarti Lyrics In Hindi

॥ आरती श्री जगदीश जी ॥

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे।

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे।

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे।

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे।

तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे।

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे।

दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे।

विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।
स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, सन्तन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे।

श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे।

ॐ जय जगदीश हरे आरती की उत्पति

ऐसा माना जाता है की भगवान जगदीश की इस पवित्र आरती ओम जय जगदीश हरे की उत्पत्ति हिन्दू धर्म के प्राचीन ग्रंथो वेदों में हुई है जिनमे भगवान विष्णु को ब्रह्मांड के संरक्षक या संचालक के रूप में वर्णित किया गया है।

ऐसा माना गया है की इस आरती की रचना 16वीं शताब्दी के महान संत और कवी गोस्वामी तुलसीदास द्वारा की गयी है। तुलसीदास की ऐसी ही और भी कई रचनाये उपलब्ध है जिसमे से सबसे प्रमुख रचना रामचरितमानस को माना जाता है जिसमे उन्होंने प्रभु श्री राम के सम्पूर्ण जीवन का वर्णन किया है।

ओम जय जगदीश हरे आरती का महत्त्व

Om Jay Jagdish Hare Aarti को हिंदी धर्म में सबसे महत्वपूर्ण और शक्तिशाली आरती में से एक माना जाता है। इस आरती में भगवान को उनके भक्तो के प्रति प्यार, दया और सुरक्षा के लिए आभार व्यक्त किया गया है।

इस आरती को मुख्य रूप से भगवान विष्णु की पूजा के दौरान आशीर्वाद लेने के लिए गायी जाती है। ऐसा माना जाता है की इस आरती को गाने वाले व्यक्ति पर भगवान विष्णु की कृपा नहीं रहती है और उसके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि रहती है।

भगवान विष्णु की तस्वीर के सामने घी का दीपक जलाकर आरती की थाली को गोलाकार गति में लहराकर आरती की जाती है। इस आरती में भगवान विष्णु के विभिन्न गुणों की स्तुति की जाती है और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रार्थना की जाती है।

Om Jai Jagdish Hare Lyrics Pdf क्या है

Om Jai Jagdish Hare Aarti PDF

ओम जय जगदीश हरे आरती Pdf मुख्य रूप से भगवान विष्णु जी की आरती लिरिक्स है जिन्हे हिंदी भाषा में पीडीऍफ़ प्रारूप में उपलब्ध करवाया गया है।

इस पीडीऍफ़ को डाउनलोड करके आप भगवान विष्णु की इस शक्तिशाली आरती लिरिक्स को अपने पास सहेज कर रख सकते है और जरुरत के समय कभी भी किसी भी समय इस बिना इंटरनेट के भी इस आरती को एक्सेस कर सकते है।

जगदीश जी की इस आरती पीडीऍफ़ को डाउनलोड करना बहुत ही आसान है। आप इस पोस्ट में दिए गए डाउनलोड बटन से केवल एक क्लिक में इस आरती को डाउनलोड कर सकते है और अपने किसी भी डिवाइस में इसे सुरक्षित रख सकते है।

Jai Jagdish Hare in Hindi Lyrics PDF का एक फायदा यह भी है की इसे आप किसी भी डिवाइस में एक्सेस कर सकते है। (जैसे मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर या टैबलेट)

इस आरती पीडीऍफ़ को आप अपने घर में पूजा के दौरान इस्तेमाल कर सकते है या अपने व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिउ इस आरती की प्रिंट भी निकलवा सकते है।

FAQs:-

ओम जय जगदीश आरती के लेखक कौन है?

ॐ जय जगदीश हरे आरती के लेखक पंडित श्रद्धाराम शर्मा (1837–24 June 1881) को माना जाता है जिन्होंने इस आरती की रचना सन 1870 में की थी। लेकिन बहुत से लोगो द्वारा गोस्वामी तुलसीदास को भी इस आरती के रचियता के रूप में माना जाता है।

जगदीश कौन से भगवान है?

जगदीश जी भगवान विष्णु जी का दूसरा नाम है मतलब की जगदीश जी स्वयं भगवान विष्णु ही है।

आरती खड़े होकर क्यों की जाती है?

खड़े होकर आरती करना एक प्रकार से अपने आराध्य के प्रति सम्मान को दर्शाता है। जिस प्रकार आप अपने से बड़े किसी व्यक्ति को सम्मान देने के लिए खड़े होते है उसी तरह अपने आराध्य के प्रति सम्मान में खड़े होकर आरती की जाती है।

Conclusion-

उम्मीद करते है आपको हमारी यह पोस्ट जरूर पसंद आयी होगी और इस पोस्ट में साझा जानकारी और Om Jai Jagdish Hare Aarti PDF आपके लिए उपयोगी रही होगी।

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