दोस्तों अगर आपको भी शायरी का शौक है तो आज की पोस्ट आपके लिए काफी महत्वपूर्ण होने वाली है क्योकि आज की इस पोस्ट में हम आपको Shayari Book PDF उपलब्ध करवाने वाले है जिसमे आपको बहुत सी गुलजार शायरी का संग्रह मिलने वाला है।
तो अगर आप भी शायरी शौकीन है तो आपको इस बुक को जरूर देखना चाहिए। इस पोस्ट में उपलब्ध गुलजार शायरी बुक पीडीऍफ़ को आप केवल एक क्लिक में निशुल्क अपने मोबाइल में डाउनलोड करके रख सकते है और जब आपका मन हो जब बिना इंटरनेट के भी शायरी पढ़ सकते है।
Shayari Book PDF Details
Pdf Title | गुलजार शायरी बुक |
Author Name | गुलजार (सम्पूर्ण सिंह कालरा) |
Category | शायरी |
Language | हिंदी |
Pdf Size | 3.6 MB |
Total Pages | 168 |
Pdf Source | pdfshiksha.com |
Note - अगर आप इस पोस्ट में उपलब्ध गुलजार शायरी बुक पीडीऍफ़ को डाउनलोड करना चाहते है तो कृपया ऊपर दिए Download बटन पर क्लिक करे।
शायरी बुक पीडीऍफ़ क्या है
शायरी बुक पीडीऍफ़ एक शायरी पुस्तक है जिसे पीडीऍफ़ फॉर्मेट में उपलब्ध करवाया गया है। इस पुस्तक के लेखक गुलजार साहब है जिनका जन्म नाम “सम्पूर्ण सिंह कालरा” है और इनका जन्म 18 अगस्त 1936 को झेलम जिला के दीना गाँव, पंजाब में हुआ था जो वर्तमान में पाकिस्तान में है।
गुलजार साहब को कवी, लेखक, गीतकार, निर्माता, पटकथा लेखक, व्यवसाय निर्देशक, नाटककार आदि के रूप में जाना जाता है। इनके पत्नी का नाम राखी गुलजार था। गुलजार साहब को फिल्मफेयर पुरस्कार और अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
इनकी रचनाये मुख्य रूप से हिंदी, उर्दू और पंजाबी में है साथ ही इनकी कुछ रचनाये खड़ी बोली, मारवाड़ी, हरयाणवी और ब्रज भाषा में भी रचित है।
गुलजार शायरी संग्रह बुक पीडीऍफ़
नीचे हमने गुलजार शायरी बुक पीडीऍफ़ में उपलब्ध कुछ शायरियों का संग्रह उपलब्ध करवाया है जो आपको जरूर पसंद आएगी। अगर आपको गुलजार शायरी अच्छी लगती है तो आप इस पोस्ट में उपलब्ध गुलजार शायरी की पूरी पुस्तक की पीडीऍफ़ को डाउनलोड कर सकते है।
चौदहवीं रात के इस चाँद तले
गुलजार
सुरमई रात में साहिल के क़रीब
दूधिया जोड़े में आ जाए जो तू
ईसा के हाथ से गिर जाए सलीब
बुद्ध का ध्यान चटख जाए, कसम से
तुझ को बर्दाश्त न कर पाए खुदा भी
दूधिया जोड़े में आ जाए जो तू
चौदहवीं रात के इस चाँद तले !
बुरा लगा तो होगा ऐ खुदा तुझे,
गुलजार
दुआ में जब,
जम्हाई ले रहा था मैं- दुआ के इस अमल से थक गया हूँ मैं !
मैं जब से देख सुन रहा हूँ,
मैं दीवार की इस जानिब हूँ.
गुलजार
इस जानिब तो धूप भी है हरियाली भी !
आ जाये तो आलसी कोहरा,
शाख पे बैठा घंटों ऊँघता रहता है.
ओस भी गिरती है पत्तों पर
बारिश लम्बी तारों पर नटनी की तरह थिरकती,
आँखों से गुम हो जाती है,
जो मौसम आता है, सारे रस देता है !
लेकिन इस कच्ची दीवार की दूसरी जानिब,
क्यों ऐसा सन्नाटा है
कौन है जो आवाज नहीं करता लेकिन-
दीवार से टेक लगाए बैठा रहता है.
इस प्रकार की और भी शायरी पढ़ने के लिए आप गुलजार साहब की शायरी बुक पीडीऍफ़ डाउनलोड कर सकते है वो भी बिलकुल फ्री में।
गुलजार शायरी बुक पीडीऍफ़ में आपको सैकड़ो शायरी का संग्रह हिंदी भाषा में मिलने वाला है जो आपको बहुत ही पसंद आएगा। इस पोस्ट में ऊपर दिए डाउनलोड बटन से आप आसानी से शायरी बुक हिंदी पीडीऍफ़ को डाउनलोड कर सकते है।
Conclusion –
तो दोस्तों आशा करते है आपको हमारी यह पोस्ट जरूर पसंद आयी होगी और इस पोस्ट में साझा जानकारी आपके लिए उपयोगी रही होगी और इस पोस्ट में साझा Shayari Book Pdf को डाउनलोड करने में आपको कोई भी समस्या नहीं रही होगी।
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